मूडी की रिपोर्ट: भारतीय रियल एस्टेट बाजार एक साल में ठीक हो जाएगा
September 03, 2015 |
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Raghuram Rajan surprised real estate players with an interest rate cut of 50 basis points (Wikimedia)
हाल ही के समय में भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। भले ही विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार ठीक हो जाएंगे, कई लोग यह नहीं जानते हैं कि ऐसा कब होगा। हालांकि रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टमेंट सर्विसेज का कहना है कि रियल एस्टेट मार्केट 12 माह के बाद ठीक हो जाएगा। मूडीज के ने कहा, बाजार में कमजोर कैश फ्लो, फ्लैट बिक्री और स्थिर कीमत जैसी चुनौतियां अगले 10 महीनों से भी ज्यादा नहीं होगी। मूडी की रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष ये हैं: मेजर इंडियन डेवलपर्स बिक्री में अधिक गिरावट और उनके मुनाफ़ मार्जिन में कटौती की वजह से देखेंगे क्योंकि उनका ऑपरेशंस मुख्य रूप से मुंबई और दिल्ली जैसी महानगरों में है, जहां कीमतें सबसे ज्यादा हैं
ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब बिक्री में कमी आ रही है, तो भारत में अधिक महंगी रेजिड अपार्टमेट्स की बिक्री में यह प्रभाव अधिक होने की संभावना है। आर्थिक विकास, हालांकि, बढ़ रहा है इससे संपत्ति के बाजार में अधिक आसानी से मदद मिलेगी क्योंकि भारत में आवासीय परियोजनाएं ज्यादा बिक्री का अनुमान लगाएगी। निवेशकों को भी भारतीय बाजारों में अधिक आत्मविश्वास मिलेगा, जब आर्थिक वृद्धि दर अधिक होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 2015 की शुरुआत से ब्याज दरों में कटौती कर रहा है। कुछ बैंक उधारकर्ताओं को ब्याज दर में कटौती से गुजरना शुरू कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर, 31 अगस्त को एचडीएफसी ने आधार दर को 35 आधार अंकों में कटौती की थी। यह बंधक उधारदाताओं के दृष्टिकोण में एक प्रमुख बदलाव है क्योंकि वे पहले ब्याज दरों में कटौती करने में संकोच करते थे
जब उधार लेने की लागत में गिरावट होती है, तो बेचने वाली सूची में गिरावट आई और बिक्री बढ़ेगी। बिल्डरों की उधार लेने की लागत में भी कमी आ जाएगी I चूंकि सस्ती बाजारों में घरों की मांग अधिक स्थिर होगी, ऐसे बाजारों में डेवलपर्स अगले एक साल में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। सरकारी एजेंसियों से अनुमोदन प्राप्त करने में देरी की वजह से परियोजनाओं के निर्माण में देरी बाजारों में स्थिरता के पीछे एक प्रमुख कारण है। यह उपभोक्ताओं से नकदी प्रवाह को कम करता है जैसा कि रियल एस्टेट विधेयक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा, इससे बाजारों में विश्वास बढ़ेगा।

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