मुंबई के धारावी के बारे में ये 7 बातें आप नहीं जानते होंगे
January 25, 2016 |
Shanu

Owing to the large-scale informal businesses thriving in the dingy lanes of Mumbai's infamous slum area Dharavi, residents have said a clear no to government’s redevelopment plans.
(Wikimedia)
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में बड़ी-बड़ी इमारतें तो आपने देखी होंगी, लेकिन यहां बॉलिवुड एक्टर्स के घरों और फिल्मसिटी के अलावा एक और जगह है जो बेहद मशहूर है। हम बात कर रहे हैं देश के सबसे मशहूर स्लम धारावी की। इस जगह के बारे में हम आपको वह 7 बातें बताएंगे जो आपको अब तक मालूम नहीं होंगी।
जब भी धारावी के पुनर्विकास की बात होती है तो हमेशा याद रखना चाहिए कि यह जगह खूबसूरत गांवों से ज्यादा समृद्ध है। बेस्ट सेलिंग अॉथर गुरचरण दास ने हाल ही में तर्क दिया था कि भारत के स्मार्ट सिटी मिशन को मुंबई के धारावी की विशाल झुग्गियों से प्रेरणा लेनी चाहिए न कि चंडीगढ़ से। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मानते हैं कि मेक इन इंडिया तब तक कामयाब नहीं होगा, जब तक मेक इन धारावी का बचाव नहीं किया जाएगा। धारावी की ताजा पुनर्विकास योजना के मुताबिक हर परिवार को 269 वर्ग फुट जमीन मिलेगी। यह काफी कम और मुंबई के मौजूदा फ्लोर स्पेस खपत के काफी करीब है। इस योजना का आर्किटेक्ट मुकेश म्हाता ने काफी विरोध किया था। 2013 की शुरुआत में धारावी की कई झुग्गियों की कीमत 1 करोड़ रुपये से ज्यादा थी। फिर भी ज्यादातर लोग यहीं रहना चाहते हैं। हालांकि वह इस जगह से दूर किसी भी उपनगर में रह सकते हैं, वह भी इससे कहीं ज्यादा बड़े घरों में। इसका एक कारण यह भी है कि धारावी बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स, सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) और शहर के अन्य मुख्य इलाकों के करीब है। सुविधाओं का नजदीक होना लोगों के लिए ज्यादा मायने रखता है, बजाय घर के, जो सरकार के न्यूनतम मानकों को पूरा करते हैं। कम आय वर्ग के लोगों को यातायात की लागत काफी महंगी लगती है। समय इन लोगों के लिए भी बेहद कीमती है। काम की जगह पर पहुंचने के लिए घंटों बर्बाद करना इन्हें पसंद नहीं है। इन लोगों को सिर्फ अच्छे घरों की जरूरत नहीं है। इन्हें शहर के केंद्र में बसे धारावी में सब कुछ मिलता है और यही उन्हें यहां रहने को मजबूर करता है।
कई विकसित देशों से ज्यादा उद्यमी है धारावी: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इकनॉमिस्ट एडवर्ड ग्लासेर ने दावा किया था कि धारावी व्यापार करने वाले लोगों से भरा पड़ा है। हालांकि इसका कोई सटीक अनुमान तो नहीं है, लेकिन सर्वे के मुताबिक शहरी कामकाजी भारतीयों में 43 प्रतिशत सेल्फ एम्प्लॉयड थे। बता दें कि अमेरिका के किसी मेट्रोपॉलिटन इलाके में भी 11 प्रतिशत से ज्यादा सेल्फ एम्प्लॉयड लोग नहीं हैं। धारावी भारत के अन्य शहरी इलाकों की तुलना में ज्यादा एंटरप्रेन्योर है। इसका कारण है कि धारावी में होने वाली गतिविधियां फॉर्मल इकनॉमी के दायरे के तहत नहीं हैं। भारत में फॉर्मल इकनॉमी नियमों से घिरी हुई है, जबकि धारावी में खुलकर काम करने की आजादी है। इसके अलावा यह जगह उन लोगों को भी लुभाती है, जो अपने गांवों से पलायन कर मुंबई पहुंचते हैं।
बेहद सुरक्षित है धारावी: कई शहरी नीति विशेषज्ञ यह कह चुके हैं कि ब्राजील के रियो डि जेनेरो के स्लम्स के मुकाबले धारावी ज्यादा सुरक्षित है। वहीं एडवर्ड ग्लासेर ने कहा था कि धारावी 1970 के न्यू यॉर्क के कम आय वाले इलाकों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है। इसका कारण है कि धारावी के लोग एक-दूसरे पर नजर रखते हैं। जब लोग एेसा करते हैं तो अपराध करने के मौके कम हो जाते हैं। हालांकि इसका एक दिलचस्प स्पष्टीकरण भी है। मनोवैज्ञानिक सातोशी कानाजावा ने मुताबिक अमेरिका में अपराध दर ज्यादा है। जबकि व्यक्तिगत तौर पर अमेरिका के लोगों ने ही सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार जीते हैं। वहीं जापान में कुछ अपराधी और कुछ नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। बता दें कि व्यक्तिगत समाज एक ही समय पर ज्यादा क्रिएटिव और अपराध ग्रस्त होता है। जबकि जापान और भारत जैसे देश कम अपराधी और नोबेल पुरस्कार विजेता पैदा करते हैं, क्योंकि जब लोग एक दूसरे पर नजर रखते हैं तो किसी शख्स के ज्यादा क्रिएटिव होने की संभावना कम हो जाती है। अपराध की ओर भी वह कम ही रुख करते हैं। जीनियस और अपराधी रिस्क लेने वाले होते हैं।
एशिया का सबसे बड़ा स्लम नहीं धारावी: एक मशहूर धारणा है कि धारावी एशिया का सबसे बड़ा स्लम है। लेकिन यह सच नहीं है। कराची के उत्तरी छोर पर बसा ओरांगी शहर एशिया का सबसे बड़ा स्लम है। मुंबई में भी कई एेसे स्लम्स हैं, जो धारावी से बड़े हैं।
ग्रामीण भारत से ज्यादा समृद्ध है धारावी: इस मामले में भी अनुमान अलग-अलग हैं। बताया जाता है कि धारावी की अर्थव्यवस्था 600 मिलियन डॉलर से लेकर 1.6 बिलियन डॉलर या उससे ज्यादा है। यहां कई छोटी इंडस्ट्रीज भी हैं। बेहद घनी जनसंख्या वाले धारावी में भारत के अधिकतर हिस्सों के मुकाबले ज्यादा व्यापार होता है। यहां कई एेसे कद्दावर एम्पलॉयर्स हैं, जो रोजी-रोटी खो चुके लोगों को फिर से अपने पांव पर खड़ा करने में मदद करते हैं। धारावी के छोटी आय वाले परिवारों के कम कुशल लोगों के लिए यह बेहद अहम है।
इको-फ्रेंडली है धारावी: इस जगह पर इस्तेमाल हो चुके प्लास्टिक और सुई को रिसाइकल किया जाता है। गंदगी को बर्तनों में तब्दील किया जाता है। परंपरागत मानकों को देखते हुए पर्यावरण के जानकारों को ग्रीन धारावी पर विचार करना चाहिए। लेकिन इनमें से कई इस स्लम को प्रेरणा मानते हैं।
लो-राइज है धारावी: इस इलाके की ज्यादातर इमारतें दो मंजिला या उससे छोटी हैं। यह एक लो राइज जगह है। अत्यधिक जनसंख्या वाली मुंबई की इन हाई राइज इमारतों के खिलाफ तर्क दिया जाता है कि ये शहर की प्रकृति और इकोसिस्टम का सम्मान नहीं करतीं।

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