पढ़िए मूल उधार दर के बारे में वह बातें जो आप नहीं जानते होंगे
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विवरण
प्राइम लेंडिंग रेट (मूल उधार दर) वह ब्याज दर है, जिस पर बैंक अपने सबसे विश्वसनीय ग्राहकों को उधार देते हैं। इस वीडियो के जरिए प्राइम लेंडिंग रेट को आप आसानी से समझ सकते हैं।
यह तो आपको हम ऊपर बता चुके हैं कि प्राइम लेंडिंग रेट होता क्या है। वक्त के साथ बैंक अपने ग्राहकों को प्राइम लेंडिग रेट से कम या ज्यादा की ब्याज दर पर पैसा देते आए हैं। बैंकों के प्राइम लेंडिंग रेट में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। मई 2015 से लेकर सितंबर 2015 के बीच भारत के 5 मुख्य बैंकों की औसत उधार दर 10 प्रतिशत थी। इससे पहले 5 भारतीय बैंकों की औसत उधार दर 10.25 प्रतिशत थी। रिटेल प्राइम लेंडिंग रेट किसी बैंक के रिटेल ग्राहकों के लिए एक अहम उधार दर है। साल 2010 से भारत में ''बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट'' की जगह ''बेस रेट'' शब्द का इस्तेमाल हो रहा है। इसका कारण यह है कि भारत में बैंकों को तय किए हुए प्राइम लेंडिंग रेट से ज्यादा या कम पर उधार देने की इजाजत नहीं थी। कमर्शियल बैंक भी बेस रेट से कम पर उधार नहीं दे सकते, हालांकि अगर रिजर्व बैंक अॉफ इंडिया यानी आरबीआई इसकी इजाजत दे तो वह एेसा कर सकते हैं। बेस रेट को तय करने का अधिकार बैंकों के फैसले पर निर्भर करता है। जब आरबीआई रेपो रेट को कम करता है तो कमर्शियल बैंकों के बेस रेट में भी गिरावट आती है। 6 अक्टूबर 2015 को एचडीएफसी बैंक ने अपने रिटेल प्राइम लेंडिंग रेट में 25 पॉइंट्स की कमी की थी और यह 9.9 प्रतिशत से घटकर 9.65 प्रतिशत पर आ गया था।
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